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आयुर्वेद इतिहास

720.00 Original price was: ₹720.00.580.00Current price is: ₹580.00.

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Edition :

डॉ. मृणाल धार्मिक, डॉ. विशाल शिवहरे

978-81-19147-32-8

296

6.38x9.02

Paperback

Nitya Publications, Bhopal

First

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आयुर्वेद इतिहास

720.00 Original price was: ₹720.00.580.00Current price is: ₹580.00.

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Description

आयुर्वेद के आचार्यो ने जीवन को पूर्ण रूप से देखने का प्रयास किया है। मनुष्‍य का शरीर केवल जड़ भौतिक पदार्थों का पिण्‍ड मात्र नहीं है। वह उससे बड़ा है – बहुत बड़ा। यहीं कारण है कि आयुर्वेद में समग्र मनुष्‍य को चिकित्‍स्‍या माना गया है। आयुर्वेद ग्रंथों में बहुत सी ऐसी सामग्री है – जो ग्रंथोकारो द्वारा सयत्‍न अभिप्रेत है। इस दृष्टि से चरक , सुश्रुत , वाग्‍भट और उनके भी पूर्व के आचार्यो के ग्रंथ बहुत महत्‍वपूर्ण है। आयुर्वेदीय वाड़्मय का इतिहास ब्रम्‍हा, इन्‍द्र आदी देवों से संबंधित होने के कारण अत्‍यंत प्राचीन गौरवस्‍पद एवं विस्‍तृत है। लोकोपकार की दृष्टि से इस विस्‍तृत आयुर्वेद को बाद में आठ अंगो में विभक्‍त कर दिया गया , तब से इसे ‘अष्‍टांग आयुर्वेद ‘ कहा जाता है। इन अंगों का विभाजन उस समय के आयुर्वेदज्ञ महार्षियों ने किया। कालान्‍तर में कालचक्र के अव्‍याहन आघात से तथा अन्‍य अनेक करणों से अंग खण्डित होने के साथ प्राय: लुप्‍त भी हो गये। खण्डित अंगों की पूर्ति युक्‍त उन संहिता ग्रंथो को प्रतिसंस्‍कृत कहा जाने लगा जैसे की आचार्य दृढ़बल द्वारा प्रतिसंस्‍कृत चरकसंहिता। इसके अतिरिक्‍त प्राचीन खण्डित संहिता में भेल संहिता तथा करश्‍यपसंहिता के नाम भी उल्‍ल्‍ोखनीय है। तदन्‍तर संग्रह की प्रवृत्ति से रचित संहिताओं में अष्‍टांगसंग्रह तथा अष्‍टांगहृदय संहिताए प्रमुख एवं सुप्रसिध्‍द है। विद्वानों ने वर्गिकरण की दृष्टि से आयुर्वेदीय संहिताओं का विभाजन बृहत्रयी में – चरकसंहिता – सुश्रुतसंहिता – अष्‍टांहृदय का समावेश किया गया।

लघुत्रयी – में शारंगधरसंहिता – भावप्रकाश – माधवनिदान है। चरकसंहिता में स्‍वास्‍थ्‍य रक्षा के सिद्धान्‍तों , रोगमुक्ति के उपायों तथा आयुर्वेदीय सदवृत्‍त आदि विषयों जो विशद विवेचन उपलब्‍ध होता है , वह सभी दृष्टियों से महत्‍वपूर्ण है। अधिक क्‍या कहा जाए चरकोक्‍त सभी सिद्धान्‍त त्रिकालबाधित है।

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