भारतीय संविधान मे लोकतंत्र शासन प्रनाली को मान्यता दी गई है । मै यहा लोकतंत्र के संदर्भ मे राजनीतिक दलो की भुमिका का के सम्बंध मे लिख रहा हु . लोकतंत्र मे राजनीतिक दलो का क्या महत्व है उसके क्या लाभ है उसकी क्या क्या हाँनिया है ईसको बताने का प्रयास है .
वर्तमान समय मे भारतीय राजनीति मे कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल है . आज भारत मे ईतने सारे दल बन गये है जैसे कोई दुकान हो .यद्धपि ये दुकान नही परंतु ईंनका व्यवहार दुकानदार जैसे ही हो गया है अपने दल मे लोगो को आकर्षित करने के लिये सदस्यता अभियान चलाये जाते है ,कई प्रलोभन भी दिये जाते है ताकि उस दल की सदस्यता बढे चुनाव मे कार्यकर्ता अधिक हो ताकि चुनाव जीतकर सरकार बनायी जा सके.
अधिक दल होने से जनता के पास कई विकल्प रहते है कि वे उन दलो के सदस्यो को चुने जो उनके हितो के कार्य कर सके . लोगो को यह भी आजादी रहती है कि अगर उनको किसी दल की नीति या कार्यप्रनाली पसंद न हो तो अपना एक नया दल बना ले । ईसी आजादी के कारन देश मे कई दल बन गये . ईसे तो मै दलदल भी कहता हु ।
सभी जानते है कि भारत देश मे लोकतंत्र है ईसका मतलब भी जानते है कि जनता का जनता के लिये जनता द्वारा चलाया गया शासन लोकतंत्र है .सब जानते है फिर भी मैंने ईसे सबको स्मरण ईसलिये कराया क्योंकि यह परिभाषा अब धुमिल सी होती जा रही है . अब परिभाषा यह बनती जा रही है कि दल का दल के लिये दल द्वारा चलया जा रहा शासन दलतंत्र है . लोग बाग भुल से उसे लोकतंत्र कहते है .
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