भारत कृषि प्रधान देश है जिसकी आबादी का 80% जनता गाँवों में रहती है। इसे गाँवों का देश भी कहते हैं, एवं ग्रामीणों का जीवन कृषि पर ही निर्भर है। कृषि के विकास हेतु आर्थिक सहायता का एक प्रमुख महत्व है। आर्थिक सहायता के लिये सहकारिता की विशेष भूमिका है।
उपरोक्त स्थिति शत् प्रतिशत् जिले की इकाई के रूप में रीवा जिले पर भी लागू होती है। भारत में कृषि के विकास हेतु कृषकों को आर्थिक सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य से सहकारिता का प्रादुर्भाव होना पाया जाता है, क्योंकि यहाँ के कृषक साहूकारों पर ही आश्रित थे। जो कृषकों को ऋण उपलब्ध करने के एक मात्र स्रोत थे। फलतः साहूकारों के शोषण से ग्रसित होने के कारण दिनोंदिन कृषकों की ऋणग्रस्तता में वृद्धि होती रही और कृषि का आपेक्षित विकास नहीं हो पा रहा था। इस आवश्यकता की पूर्ति हेतु रीवा जिले में भी राज्य के सहकारिता आन्दोलन की एक इकाई के रूप में प्रभाव पड़ा।
रीवा जिला पूर्व में भारत की स्वतंत्रता से पूर्व (सन् 1947 से पूर्व) एक राजशाही शासन के अन्तर्गत था। स्वतंत्रता के पश्चात् विन्ध्य प्रदेश राज्य की स्थापना हुई जिसमें रीवा जिला एक जिला राजधानी का मुख्यालय रहा। विन्ध्य प्रदेश में सहकारी अधिनियम 1949 के अन्तर्गत सहकारिता आन्दोलन का प्रारम्भ हुआ। उक्त अधिनियम के अन्तर्गत रीवा दरबार का आदेश जो कि सहकारी साख समितियाँ 1927 तथा इस सम्बन्ध में तैयार किये गये अन्य अधिनियमों को निरस्त किया गया और सहकारी समितियाँ 1912 की सभी आवश्यक धारायें सम्मिलित की गयीं। इस प्रकार कृषकों को सहकारी समितियाँ अधिनियम 1949 के अन्तर्गत निर्मित साख समितियों का गठन कर तदन्तर्गत कृषकों को ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई।
Nitya Publications, Bhopal MP, India is a fast growing publisher and serving at national and international level. We are publishing all type of books like educational books, seminar / conference proceeding, reports, thesis, story books, novels, poetry books and biographies etc with ISBN.