आदौ राम तपोवनादि गमनं,हत्वा मृगं कांचनम्। वैदेही हरणं जटायुमरणं, सुग्रीव संभाषणम्।। बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरी दाहननम्। पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।। (एक श्लोकी रामायण) भारत विश्व का प्राचीनतम राष्ट्र होने के साथ ही “वसुधैव कुटुम्बकम“ की सोच भी रखता है और हम भारतीय प्रार्थना करते हैं- “सभी सुखी होवें, सभी रोग मुक्त रहें,सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।“ प्रज्ञा प्रवाह -“राष्ट्र सर्वोपरि विचारकों का संस्थान“ है। समय – समय पर समसामयिक विषयों समाज के बुद्दिजीवियों, कर्मशील एवं अकादमिक क्षेत्र के नागरिकों के सहयोग से व्याख्यान, संगोष्ठी एवं परिचर्चा करता रहता है। विभिन्न विषयों पर पुस्तकों का प्रकाशन कर समाज तक पहुँचाने का प्रयत्न भी कर रहा है। बीते वर्ष (००) लगभग मध्य में कोरोना महामारी के वैश्विक संकट बनने पर “देवभूमि विचार मंच“ उत्तराखंड ने निम्म विषय पर कार्य करने का निर्णय लिया और कार्य की जिम्मेदारी हल्द्वानी इकाई को दी गई। इकाई ने गहन मंथन के बाद “कोविडः भारतीय परिप्रेक्ष्य में विविध आयाम“ विषय को कार्य करने हेतु चयनित किया। संपादक का कार्य डॉ रश्मि पंत के कुशल हाथों में सौंपा गया एवं सक्षम सहयोगियों के साथ विषय पर कार्य प्रारंभ हो गया।
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