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बग़ावत कौन करता फिर ? (ग़ज़ल संग्रह)

180.00 Original price was: ₹180.00.140.00Current price is: ₹140.00.

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No. of Pages :

Size of the book :

Book Format :

Name of Publisher :

Edition :

राहुल रेड

978-93-90699-21-6

124

A5

Paperback

Nitya Publications, Bhopal

First

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बग़ावत कौन करता फिर ? (ग़ज़ल संग्रह)

180.00 Original price was: ₹180.00.140.00Current price is: ₹140.00.

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Description

अनुकूल परिवेश में आगे बढना कोई बड़ी बात नहीं, बात तो तब होती है, जब प्रतिकूल परिवेश में कोई झंझावातों से पंगे लेता बढ़ता चला जाए।

जी हाँ ,बात हो रही है ग़ज़ल संग्रह ‘बग़ावत कौन करता फिर?’ के रचनाकार राहुल रेड की।

अपनी पुस्तक का नाम “बग़ावत कौन करता फिर?” रखने से यह स्पष्ट परिलक्षित है, कि वो अपने हक़ के लिए आवाज उठाना जानते हैं। अनेकानेक साझा संकलन में छप चुके रचनाकार का अब  एकल ग़ज़ल संग्रह आ रहा है, आज मैं भी उसकी खुशी में शामिल हूँ।

“बग़ावत कौन करता फिर?” में आप वर्तमान भेदभावपूर्ण नीतियों से उपजी पीड़ा और विद्रोह की ग़ज़ल पायेंगे। ग़ज़ल विधा पर मजबूत पकड़ रखने वाला यह शख़्स अंदर से बहुत टूटा हुआ सा प्रतीत होता है, यही वजह है, कि उसकी लेखनी आग उगलती है।

आज ग़ज़ल की सीमायें बहुत व्यापक हो गयी हैं, अब ग़ज़ल की सहानुभूति सिर्फ़ आशिकी और इश्क से ही नहीं रही बल्कि इसकी संवेदना भेदभाव जनित व्यवस्था से उपजी वेदना और तनावपूर्ण मनोस्थितियों से भी है। अब तो ग़ज़ल में रोटी और गरीब के श्रम की माँग भी समाहित होती है। ज़िन्दग़ी में उपेक्षा का दंश झेलते युवक के मनोभाव को इन्होंने पूरी शिद्दत से अपनी ग़ज़लों में पिरोया है, इनकी शायरी में अजनबीपन ही नहीं एक स्नेहपूरित अपनापन झलकने की वजह ये भी हो सकती है, कि इन्होंने पेंचीदा और अस्पष्ट उपमाओं से अपने शेर को बोझिल होने से बचा लिया है।

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