जीवन के अलौकिक, पारलौकिक और इहलौकिक लक्ष्यों को प्राप्त करने वाली साधना का नाम योग है। योग को भारतीय परम्परा में जुड़ाव के अर्थ में लिया जाता है। योग शरीर की समस्त शक्तियों के आपसी मेल-मिलाप है। भगवान नारायण योग प्रकृति की स्वाभाविक प्रक्रिया भी है। ऐसा देखने में आता है कि योगी जन रोग तथा मानसिक असंतोष इत्यादि से कभी भी प्रभावित नही होते हैं। योगियों के लिए योग तप समान है जो कि समस्त मानवीय विकारों को दूर कर मानव को अपने कर्म पथ पर चलने के लिए दृढ़ संकल्पित करता है। वर्तमान में इस विधा का व्यावसायीकरण हो चुका है। अब इसे आधुनिक व्यायाम मान लिया जाता है। किन्तु वास्तविकता इससे भिन्न है। आज इस बात की आवष्यकता है कि जन-जन तक इस बात का प्रसार किया जाय कि योग सिर्फ एक शारीरिक व्यायाम ही नही है अपितु एक प्रकार की बहुआयामी परम्परा है जिसमें संस्कार, साधना एवं मर्यादा का पर्याप्त सम्मिलन है। इस दिषा में शोध संगोष्ठी का आयोजन हमारे महाविद्यालय, परिवार ने किया। जिसके लिए संगोष्ठी के संयोजक डॉ. विमल कुमार तिवारी एवं संरक्षक डॉ. कलावती गाडरिया जी को विषेष धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होेंने इस महत्त्वपूर्ण कार्य को करके जहांँ पर ज्ञान परम्परा को समृद्ध करने का प्रयास किया है वहीं पर योग जैसे विषय पर कार्य करने की योजना निष्चित ही समाज एवं देष के लिए एक विषेष योगदान से कम नही हैं। इस तरह की संगोष्ठी के आयोजन के लिए मैं संस्था के प्राचार्य डॉ. गाडरिया जी एवं डॉ. तिवारी जो को सदैव उत्साहित करता हूं। प्रस्तुत पुस्तक में अखिल भारतीय स्तर के विद्वत जन की लेखनी का संग्रह है। मुझे आषा ही नहीं पूर्ण विष्वास है कि यह पुस्तक शोधार्थियों एवं सुधी पाठकों के लिए एक अक्षय स्रोत के रूप में साबित होगी। मैं इस पुस्तक की सफलता के लिए मंगल कामना करता हूंँ।
Nitya Publications, Bhopal MP, India is a fast growing publisher and serving at national and international level. We are publishing all type of books like educational books, seminar / conference proceeding, reports, thesis, story books, novels, poetry books and biographies etc with ISBN.