प्रस्तुत पुस्तक मेरे शोध प्रबंध ‘सिंहभूम में स्कूली शिक्षा का विकासः सरकारी
नीति तथा सामाजिक मनोवृत्ति का अध्ययन 1837-1947’ पर आधारित है जो
मैंने वर्ष 2019 में कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा में पी.एच.डी. की उपाधि
प्राप्त करने हेतु जमा किया था। इस शोध प्रबंध के आधार पर कोल्हान
विश्वविद्यालय, चाईबासा ने 2020 में मुझे पी.एच.डी. की उपाधि प्रदान की।
प्रस्तुत पुस्तक 1837 से 1947 के बीच सिंहभूम में आधुनिक स्कूली शिक्षा
के विकास को रेखांकित करता है और इसके व्यापक सामाजिक एवं सांस्कृतिक
परिणामों की समीक्षा करता है। इसमें यह जानने का प्रयास हुआ है कि पश्चिमी
आधुनिक शिक्षा विभिन्न श्रेणी के स्कूलों के माध्यम से सिंहभूम में किस प्रकार
स्थापित और प्रसारित हुई तथा यह ज्ञान अर्जन, सरकारी नौकरी प्राप्त करने और
सम्मानजनक जीवन जीने के साधन के रूप में किस प्रकार प्रतिष्ठित हुई। इसी
क्रम में सिंहभूम में स्कूली शिक्षा के विकास में सरकारी, गैर सरकारी और
मिशनरी प्रयासों का आलोचनात्मक अध्ययन किया गया है। स्थानीय समाज,
विशेषकर आदिवासी हो समुदाय, ने पाश्चात्य शिक्षा को किस प्रकार ग्रहण किया,
इसका भी आकलन प्रस्तुत किया गया है। एक कदम आगे बढ़कर, स्वयं पश्चिमी
ज्ञान को शंका के घेरे में रखकर उसे जाँच का विषय बनाया गया है। इस प्रकार,
प्रस्तुत अध्ययन सिंहभूम में आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा के विकास का अध्ययन
होने के साथ-साथ सिंहभूम के लोगों पर इसके बहुदिशात्मक और दूरगामी प्रभावों
का भी अध्ययन है।
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