रामचरित मानस (साराँस) लिखने का विचार मेरे मन में तब आया जब मैंने उसका अध्ययन शुरू किया। अध्ययन से पाया कि रामचरति मानस एक न सिर्फ अद्भुत, अनूठा ही ग्रंथ है बल्कि संपूर्ण संसार का एक ऐसा ग्रंथ है जिसकी तुलना नहीं की जा सकती। गोस्वामी तुलसीदासजी ने उसकी रचना में विश्व के किसी भी पहलू को अनछुआ नहीं छोड़ा है। यह इतना विशाल गं्रथ है कि उसे ध्यान से पढ़ना व समझना साधारण मनुष्य के बस की बात नहीं है उसमें साहित्य, कला, भक्ति, ज्ञान, त्याग, वैराग्य, राज धर्म, पारिवारिक जीवन, आदर्श , प्रतिवृतधर्म, सदाचार की शिक्षा, सर्वोपरी सगुण साकार भगवान की आदर्श बाललीला, उनके गुण, प्रभाव, रहस्य तथा प्रेम के तत्व को सभी स्त्री-पुरूष, बालक-बृद्ध और युवा सबके लिए उपयोगी बड़ी सुन्दर सरल भाषा में लिखा गया है। फिर भी साधारण मनुष्य को उसे पूर्ण रूप से समझ पाना मुश्किल कार्य है। मैंने देखा कि हम जीवन में अनेकों बार रामचरित मानस का अखण्ड पाठ, सुन्दर काण्ड का पाठ करते हैं पर समझ कितना पाते हैं। अतः इस उद्देश्य से मैंने इसे साराँस में लिखना चाहा। साराँस रूप में श्री रामचंद्रजी के सम्पूर्ण चरित्र के घटना क्रमों का सिलसिले बार वर्णन किया गया है।
आशा है यह संस्करण सभी प्रबुद्ध पाठकों को संक्षेप में रामचरित मानस को पढ़ने व समझने में सहायक होगा।
इसमें यदि कहीं कोई त्रुटी पाई जाये तो पाठक गण से विनम्र निवेदन है कि क्षमा करने की कृपा करेंगे।
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