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दास्ता ने हुस्नो जमाल

250.00 200.00

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Book Format :

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Edition :

हरदेव सिंह

978-93-91669-70-6

142

A5

Paperback

Nitya Publications, Bhopal

First

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दास्ता ने हुस्नो जमाल

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Description

मेरी जीवन यात्रा में गुरू गोबिन्‍द सिंह जी के एक महावाक्‍य ‘’जिन प्रेम कीओ तिन ही प्रभ पायो’’ ने बहुत असर किया है। मैं हर मिलने वाले से बहुत प्‍यार से बात करता व मेरा मन परमात्‍मा के भय में रहा है।

मेरी नौकरी ईस्‍ट्रन इकोनोमिस्‍ट जनरल में मुझे बहुत रास आहूत ईस्‍ट्रन इकोनोमिस्‍ट का दफ्तर 52 जनपथ पर था व कॉफी हाऊस 60 जनपथ पर था। दोनों बिल्‍कुल नजदीक। मैं दोपहर के खाने के वक्‍त काफी हाऊस जरूर जाता और जहीन व मीठा बोलने वाले आदमी व कई जहीन व सुंदर औरतें मेरी जि़दगी का हिस्‍सा बन गए।

इस किताब में कुछ सुंदर, जहीन व रंगीन औरतें जिनसे मेरा गहरा रिश्‍ता बन गया था, उनका वर्णन लिखने योग्‍य था व तरतीब में लिखा है। मेरा संबंध इन औरतों के साथ सीधा सादा नहीं था, इसमें प्‍यार का गहरा रंग भी था। मैं बकौल फैज़ अहमद फैज, इश्‍क को बहुत महाता देता था, जैसा कि फैज़ ने लिखा है।

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