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मनुष्य में देवत्व का अवतरण कैसे हो

400.00 Original price was: ₹400.00.320.00Current price is: ₹320.00.

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Edition :

योगेन्द्र प्रधान

978-93-5857-391-6

210

A5

PAPERBACK

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मनुष्य में देवत्व का अवतरण कैसे हो

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Description

भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के चैथे अध्याय में, पृथ्वी पर अपने अवतरण का उद्देष्य, बताया है, जो इस प्रकार है।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम।।अध्याय 4,ष्लोक 7।। परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।। अध्याय 4, ष्लोक 8।।
हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं अपने रूप को रचता हूँ, अर्थात साकार रूप से, लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ। भक्तों का उद्धार करने के लिए, दुष्टों का सम्पूर्ण विनाश करने के लिए तथा धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए मैं प्रत्येक युग में अवतरित होता हूँ।
कृष्ण कहते हैं, कि धर्म के उत्थान के लिये, मैं बार-बार धरती पर अवतरित होता हूॅं, अर्थात परमात्मा की यह इच्छा है कि, धर्म का पतन न हो, बल्कि उत्थान हो। कृष्ण समष्टिगत चेतना के उत्थान की बात कर रहे हैं, जो कि व्यष्टिगत चेतना के उत्थान से ही, संभव है।

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