प्रिय पाठको,
प्रस्तुत किताब में एक एसे अनाथ बालक की कहानी है जिसमे वह तमाम समस्याओं से झूझते हुए अपनी जींदगी में सफल हो जाता है। उसकी जींदगी का सफर काफी संघर्ष पूर्ण रहा। उसकी इस दास्ताँ में कई मुद्दे उजागर हुए और मैने इन मुद्दो पर अपने दृष्टिकोण से प्रकाश डालने की कोशीश भी की है। इस किताब मे मैने एक अनाथ बच्चे की तमाम बाँतो का जिक्र किया है कि एक अनाथ बच्चे की इस समाज मे क्या क्या परेशानियाँ होती है। ज्यादातर अनाथ बच्चो की जींदगी असफल हो जाया करती है किंतु इस कहानी का प्रमुख पात्र सुशांत थोड़ा भाग्यशाली साबित होता है और वह किसी तरह अपने छोटे से गाँव से निकलकर महानगर मुम्बई तक का सफर तय करने मे सफल हो जाता है। वह इंजनियर बन जाता है। उसको जानने वाले लोग उसकी सफलता देखकर हतप्रभ हो जाते है। अगर आप भी सुशांत के बारे मे और जानने के लिए उत्सुक है तो इस किताब को पढ़कर आप उसे करीब से जान सकेंगे।
दोस्तों प्रस्तुत है एक अनाथ बालक सुशांत की गाँव से लेकर मुम्बई तक की एक दिलचस्प दास्ताँ जिसे पढ़कर आप विचारों के सागर मे डूब जाऐंगे और वे विचार आपको गुदगुदाऐंगे भी
अनिल कुमार
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