वेशभूषा एवं आभूषण प्राचीनकाल से ही मानव जीवनशैली का महत्वपूर्ण अंग रहा है। यह हमारी संस्कृति, सभ्यता, धर्म, दर्शन में सदैव दृश्यमान है। मनुष्य एक सृजनात्मक प्राणी है तथा अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति को वह विविध माध्यमों से व्यक्त करता है। वेशभूषा एवं आभूषण के प्रति उसका विशेष लगाव ही है जिसके कारण वह इनको कलात्मक स्वरूप देने के लिए हमेशा प्रयासरत रहा है। भारत एक विशाल देश है। यहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जलवायु एक स्थान से दूसरे स्थान से काफी भिन्न है जिसके फलस्वरूप प्राचीन काल से ही लोगों ने अपनी आवश्यकताओं एवं प्राकृतिक संसाध्ानांे के अनुसार विविध कलात्मक गुणों एवं विशेषताओं के आध्ाार पर स्थानीय व प्रान्तीय विशेषताओं से समृद्ध वेशभूषा एवं आभूषण परम्परा की नींव रखी है। राजस्थान के मारवाड़ (जोधपुर) राज्य जिसे मरूस्थल, मरूमण्डल आदि नामों से भी जाना जाता है। मारवाड़ प्रदेश की वेशभूषा एवं आभूषण का अपना अनूठा सौन्दर्य है, तथा उनके डिजाइन की अपनी विशेषता रही है।
प्रस्तुत पुस्तक में मारवाड़ (जोधपुर) की वेशभूषा एवं आभूषण तथा उनके डिज़ाइन के परम्परागत स्वरूप के साथ इस क्षेत्र की रंगाई, छपाई व कशीदाकारी तथा आभूषण की विविध तकनीकों व प्रयुक्त सामग्रियों का वर्णन किया है। मारवाड़ में समय-समय पर होने वाले विभिन्न बाह्य एवं आन्तरिक प्रभावों के साथ विभिन्न तत्वों को अपने में आत्मसात् करते हुए आये परिवर्तनांे का वर्णन करने की कोशिश की है। प्रस्तुत पुस्तक में अध्ययन के लिए मूर्तियों, चित्रों, ग्रन्थों, बहियों, पुस्तकों के आधार पर मारवाड़ (जोधपुर) क्षेत्र की वेशभूषा एवं आभूषण डिज़ाइन परम्परा के स्वरूप को प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है।
सर्वप्रथम, प्रथम अध्याय में ‘मारवाड़ की भौगोलिक, राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक व कलात्मकता के साथ जोधपुर की परम्परा एवं धरोहर’ पर प्रकाश डाला गया है। इसके पश्यात् द्वितीय अध्याय में ‘जोधपुर की वेशभूषा और आभूषण डिज़ाइन परम्परा के इतिहास एवं उसके विस्तार, प्रभावित करने वाले कारक, व उसके डिज़ाइन’ का वर्णन किया गया है। तृतीय अध्याय के अन्तर्गत ‘वेशभूषा एवं आभूषण की तकनीकों व उसके लिए प्रयुक्त होने वाली प्रयोज्य सामग्री तथा उसके आधार, आयाम एवं प्रयोग के साथ-साथ प्रमुख केन्द्र’ की जानकारी श्ी दी गई है। चतुर्थ अध्याय में ‘वेशभूषा एवं आभूषण के तत्वगत एवं सैद्धान्तिक आधार, उसकी रेखा, आकार, रंग आदि का वर्णन करते हुए उसके प्रवाह’ पर प्रकाश डाला गया है। पंचम अध्याय के अन्तर्गत ‘मारवाड़ (जोधपुर) की वेशभूषा, आभूषण की परम्परा एवं आधुनिकता के समन्वय की नवीन सम्भावनाओं’ को देखते हुए प्रकाश डाला गया है।
प्रस्तुत पुस्तक में मारवाड़ (जोधपुर) क्षेत्र की वेशभूषा एवं आभूषण के सम्बन्ध में लोगों की कलात्मक रूचि एवं सोच, स्थान व स्थितिनुसार होने वाले प्रभाव व परिवर्तनों तथा तकनीकों, प्रायोज्य सामग्री के साथ परम्परा, संस्कृति, सभ्यता के जुड़ाव को दर्शाता है। साथ ही उन पारम्परिक डिज़ाइनों को आज के सन्दर्भ में टटोलने का प्रयास करना है।
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