मेरी इस साहित्यिक यात्रा का प्रारम्भ, दादी और माँ की गोद में सुलाने के लिए, सुनायी गयी कहानियों से होश संभालने पर बच्चों की मासिक पत्रिका “चन्दामामा” से परिचित होने से हुआ, जिसने मुझे कथा-कहानीयों के रहस्यमयी व अचंभित करने वाले तिलिस्मी संसार से परिचित कराया जो अपनी स्कूली पढाई के साथ-साथ नरेन्द्र वेदी के बच्चों के उपन्यास व नंदन, चंपक लोटपोट जैसे कामिक्स की दुनिया तक विस्तारित हुआ।
मिडिल क्लास पहुँचते पहुँचते, पहला उपन्यास डाकू पुतलीबाई पढ़ा जो शायद गुलशन नंदा का था एवं घर पर आने वाली पत्रिकाओं धर्मयुग, कादम्बनी से मन्टो की कहानियों तक, फिर कालेज की पढाई के साथ-साथ वृन्दावन लाल वर्मा, भगवती शरण, प्रेमचंद से आचार्य चतुर सेन तक पहुँचा एवं एच० ए० एल० लखनऊ/अमेठी के आप्रेंन्टिस के दौरान गम्भीर साहित्य के रूप में विमलमित्र, टैगोर टॉलस्टाय, मैक्सिम र्गाैकिं व दस्तावेस्यकी इत्यादि की रचनाओं को पढ़ने का अवसर मिला।
यहीं मुझे मेरे साहित्यक गुरु श्री हरिशंकर परसाई जी के साहित्य का परिचय एच० ए० एल० अमेठी के पुस्तकालय में हुआ जिनके साहित्य ने मुझे लेखन की व्यंगात्मक शैली का परिचय कराया जो इतनी सशक्त थी, वह मेरे अन्तरमन में बैठ गयी एवं उसकी प्रेरणा से ही में यह पुस्तक को लिख पाया हूँ श्री हरिशंकर परसाई जी का मै एकलव्य रूपी शिष्य हूँ, वह मेरे अचेतन मन द्वारा उनकी, लेखन शैली की छाप मुझे स्पष्ट रूप में नजर आती है ।
उनकी कालजयी कृति रानी केतकी की कहानी आज भी समसामायिक है अतः वर्तमान काल की व्यवस्था को 50 वर्ष पूर्व श्री परसाई जी द्रारा लिखा जाना ही, उनकी लेखकीय प्रमाणिकता का उदहारण है। उनके द्रारा राजनैतिक स्तर के गिराव का उस कहानी में जो वर्णन किया गया था एवं उसका पात्र “मुफ्तलाल” मुझे अभी भी याद है तथा इस समय में भी समसामायिक व प्रमाणिक है।
यघिपि उनकी लेखकीय ऊँचाई को छू पाना तो असंभब हैद्य पर अपनी इस रचना में मैंने उनकी व्यंग शैली को छूने का प्रयास किया जो कितना सफल रहा यह इस पुस्तक को पढ़ने वाले पाठक एवं आलोचक बतायेँगे ।
आशा है कि मेरा यह प्रथम लेखकीय प्रयास आपको एक कचौटी/ च्यूटी काटेगा और चौकाएगाद्य इसमें व्यंग के साथ कुछ सन्देश भी दिखेगा सभी पाठको से भविष्य में लेखन में सुधार हेतु सुझाव आमंत्रित है और उनके सुझावों का हमेशा स्वागत रहेगा।
आलस्य योग से मोक्ष तक Alashya Yog Se Moksh Tak
₹199.00
Writer : परम आचार्य नलनीश श्रीवास्तव Param Acharya Nalnish Shrivastava
Edition : 1
Pager Size : A5
No. of Pages : 83
ISBN : 978-93-93694-11-9
Format : Paperback & ebook
Categories: Literature Books, Spiritual, Motivational & Leadership
Tag: आलस्य योग से मोक्ष तक
Description
Additional information
Dimensions | 22 × 16 × 1 cm |
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