प्रिय, भारत वासियो आप सब जानते है कि हमारा भारत देश न जाने कितने शासन प्रनालियोसे गुजरा है. यहा राजाभी आये महाराजा भी आये यहा सुलतान भी आये और बादशाह भी आये बाद मे अंग्रेज आये सभी का मकसद देश को लुटने का और अपना खजाना भरने का था सभी निरंकुश शासक थे हो सकता है कोई कम हो कोई अधिक . मगर सभी मे एक ही समानता थी वह यह कि कोई भी जनता के सेवक नही थे उनका लोकतंत्र मे विश्वास नही था ।
हमारे महान स्वतंत्र सेनानी जो ज्ञात है और जो अज्ञात है उनको मै नमन करते हुये कहता हु कि उनके अथक अकथ बलिदान से उनके निस्वार्थ त्याग से हमने अंग्रेज जैसे निरंकुश शासक से ईस देश को आजाद काराया यह कोई मामुली कार्य नही था . उनके प्रयास से देश मे लोकतंत्र आया देश की जनता ने आजादी मे सांस लिया उनको अधिकार मिले और देश विकास के राह पर निकल पडा.
लगभग देश को आजाद हुये 74 वर्ष हो रहे है देश ने विकास भी किया है परंतु मै देख रहा हु कि देश का लोकतंत्र दलो के दल दल मे फस चुका है ईस दलदल के कारण कई परेशानिया पैदा हुई है , भ्रष्टाचार , महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी साम्प्रदायिक दंगे , राजनैतिक हत्त्या जैसी समस्या, दलो की प्रतिस्पर्धाओने ने पैदा की है । ईस अंधी दौड को समाप्त करने एंव दल का लक्ष देश के विकास और जन कल्यान की ओर मोडने के लिये और अन्य समस्याओ को दुर करने केलिये एक दलिय व्यव्स्था देश मे लागु करने का अनुग्रह है। आशा है आपको मेरा प्रस्ताव पसंद आयेगा ।