1 वर्दी का पहला सफर
2 रेजिमेंट केन्द्र : पहला ही पंगा
3 नया सा तजुर्बा पा लेने वाली ट्रेनिंग
4 केन्द्र का साईकिल टूर
5 वेटर की भी धाक थी
6 रिक्रूट कम्पनी का चटकारा
7 कमांडेंट का इन्टरव्यू
8 जत्ति नन्नी का डिनर न्यौता
9 जरनैल की विजिट : अपना खेल तमाशा
10 कुछ अलग सा लगा
11 कर्मभूमि की ओर
12 याद रहा वह सफर
13 आखिर सत्रह पहुँच ही गया
14 घुल गया सत्रह में
15 पोलर नामकरण का किस्सा
16 सैंड डियून के उस पार
17 वैसा कुछ नहीं था
18 महार सैनिक भी आखिर वह बन ही गया
19 आखिर वह कहलाएगा क्या