कावय प्रहतयोहगता जो हक पुस्तक में बदल गयी | कावयाांचल साहहहययक सांस्था की सतत
प्रययनशीलता के पररणाम स्वरूप ही ‘कावयाश्व’ का अवतरण हुआ । यहाां पर पुस्तक के बारे में कु छ
हलखने से पूवव कावयश्वमेध प्रथम और हितीय की चचाव करना आवश्यक है । २६/०७/२०१७ को
कावय अश्वमेध प्रथम का हवहधवत समापन हुआ था चूांहक प्रथम कावयश्वमेध का प्रस्तोता मैं था,
सम्माहनत मांच (कावयाांचल) िारा इस आयोजन को सफलता पूववक साहहयय सोपान के ऊपरी हसरे
तक पहुांचाने का दाहययव मुझे सौंपा गया । वो कावयाांचल के शुरुआती हदन थे और एक तरह से
पहला बड़ा आयोजन था जो हक कावयाांचल की मेहनती टीम के िारा बहुत ही सदांु र तरीके से
हनबाहा गया था । उन हदनों हवहभन्न साहहहययक समूहों में श्ांखृ लाबद्द होते थे, जैसे कावय पताका,
शब्द श्खांृ ला, हफलबहदह और भी अन्य ।
काव्य – अश्व ”काव्यांचल अश्वमेघ २ जयगाथा (kavya- Asv kavyanchal asvmegh 2 Jaygatha)
₹320.00
Editors : – विनय चौधरी
Edition : 1
Size : 5*8 in
Pages : 240
ISBN : 978-81-937144-3-0
Format : Paper Back Ebook
Category: Literature Books
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