मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। व्यक्तित्व के विकास मंे वंशानुगत गुणों (जीन्स) के साथ ही व्यक्ति जिस देश काल और वातावरण या परिवेश मंे रहता है, उसका प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष प्रभाव उसके जीवन मंे अवश्यमेव पड़ता है। व्यक्ति की प्रथम पाठशाला उसका परिवार और प्रथम गुरू उसकी माता होती है। व्यक्ति के सीखने मंे परिवार तथा समुदाय मंे प्रचलित रीति रिवाजों तथा मान्यताओं, प्रतिमानों, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं, आस्थाओं, संस्कारांे, नियमांे, आदर्शों, रूढ़ियांे, सत्संग, समागमों आदि की अहम भूमिका होती है। इनके अनुसार ही व्यक्ति का आचरण एवं जीवन शैली निर्मित होती है।
Hot
गीत माधुरी ;भक्ति एवं प्रेरक गीतद्ध (Geet madhuri ;Bhakti evam prerak geetadh)
₹250.00
Editors : सीताराम गुप्ता
Edition : 1
Pager Size : 7×10
No. of Pages : 129
ISBN : 978-93-94894-71-6
Format : Paperback & Ebook
Additional information
Dimensions | 25 × 17 × 2 cm |
---|