भावनाओ का मायाजाल जब भी मुझे जकड़ता था में कलम उठाकत अपने भीतर के कोलाहल को शब्दों की सूरत में गड देती थी मेने कभी किसी डायरी या कॉपी में इन्हे संरक्षित नहीं किया था कागज का जो भी पुर्जा मुझे मिला , उस पर लिख देती थी। कई बार मेने अख़बार की नौकरी में मिले प्रशस्ति पत्र के पिछले हिस्सों में भी कविताओं को लिख दिया था । बस कागज के इन पुर्जो को संभाल कर रख देती थी। यह सिलसिला कई वर्षो तक चलता रहा। जिंदगी की आपाधपि में कभी समय ही नहीं मिला की में अपनी रचनाओं पर गौर करू। मेरी कुछ रचनाए विशेष घटनाक्रम से संभंधित होती थी। उन्हें में अख़बार व पत्र पत्रिकाए में भेज देती थी। छपी हुई रचनाओं को देखकर मुझे अपार सुकून मिलता था। में उनकी कटिंग काटकर रख लेती थी।
जज़्बातों का सफर ( Jajbato ka saphar)
₹125.00
Author :मधुलिका सिंह “याया”
Edition : 1
Size : 5*8 in
Pages : 68
ISBN: 978-93-91257-24-8
Format : Paper Back
Category: Literature Books