प्रस्तुत पुस्तक जीवनकाल विकास-प्प् राष्ट्रीय षिक्षा नीति के नवीन
पाठ्यक्रम गृह विज्ञान द्वितीय वर्ष ;डिप्लोमा कोर्सद्ध के अनुसार लिखी गयी है।
जीवनकाल विकास एक विस्तृत एवं व्यापक विषय है, जिसे कुछ ही कालखण्डांे मे ं
अध्ययन- अध्यापन कर समझ पाना संभव नहीं है। विद्यार्थियों को क्या और
कितना अध्ययन करना है इस समस्या का हल इस पुस्तक में विषेष रूप से करने
का प्रयास किया गया है। आषा है कि विद्यार्थियों को इस पाठ्य पुस्तक के
अध्ययन से न केवल संतोषजनक आधार प्राप्त होगा अपितु विषय संबंधी ज्ञान भी
विकसित होगा। विषय को सरलतापूर्वक समझाने के लिये इसे चार इकाईयो ं में
विभाजित किया गया है- तरूणावस्था एवं किषोरावस्था, संवेगात्मक विकास,
सामाजिक विकास एवं पारिवारिक संबंध तथा प्रौढ़ावस्था एवं वृद्धावस्था। उपरोक्त
अध्यायों के द्वारा किषोरावस्था से वृद्धावस्था तक की अवस्थाओं में होने वाले
विभिन्न विकास, परिवर्तन एवं सांमजस्य को सुगमतापूर्वक व्याख्या करने का प्रयास
किया गया है। पाठ्यवस्तु को सरल, स्पष्ट एवं बोधगम्य भाषा में पर्याप्त, रोचक,
उदाहरणों, तालिका एवं चित्रों की सहायता से सम्पादित कर प्रस्तुत किया गया
है। अध्याय के अन्त मे ं महत्वपूर्ण बिन्दु, वैकल्पिक तथा अभ्यास प्रष्न दिये गये हैं
जिससे विद्यार्थी विषय वस्तु को सरतलता से समझ सकें एवं अपने दैनिक जीवन
में भी उपयोग कर सकें।