इस अंक में 2 संछिप्त कहानियाँ और एकांकी नाटक पाठकों के लिए प्रस्तुत है, संछिप्त प्रस्तावना लिखने का तात्पर्य ये है की पाठक को बिना पूरी कहानी पढे़ समझ में आ ज़ाये की किसे वो पहले पढे़ अपने पसंद के हिसाब से,
(1) एकांकी नाटक “रंजना” एक ऐसी लघु नाटक रचना है जो स्त्री चरित्र के सभी पहलुओं को विस्तार से चित्रण करता है और अंतरात्मा को झकझोर कर रख देता हैं,
(2) कहानी “पंडित सूर्यकांत” एक मार्मिक कहानी है जिसमें दो युवाओं के बीच धर्म आडे़ आता दिखता है जो समय और परिस्थति के साथ ठीक हो जाता है,
(3) दूसरी एकांकी “सफाई” एक हास्य-ब्यंग लघु नाटिका है जिसमे ये दिखाइ देता है की किसी अवस्था में या किसी हालत में लकीर का फ़क़ीर होने की आवश्यकता नही होती है। ऐसा करने से फ़ायदा कम और नुकसान अधिक होता है,
(4) कहानी “कलुआ” एक ऐसे देहाती और गरीब नौजवान की कहानी है जो शहर आ कर किसी तरह के शहरी प्रलोभन से दूर रहते हुए विश्वास जीतता है और सही रास्ते पर चलते हुए भी उसे सब कुछ मिल जाता है