प्रस्तुत पुस्तक ‘पारिस्थितिकी विज्ञान,दर्शन एवं समसामयिक समस्यायें‘ दर्शन शास्त्र बी0ए0 आनर्स के नवीन पाठयक्रम (विनोवा भावे वि‛वविद्यालय, हजारीबाग, झारखण्ड के द्वारा स्वीकृत) पर आधारित है। आज दर्शन शास्त्र के परम्परागत दृष्टिकोण में अनेक नये विषय को शामिल किया जा रहा है। विद्यार्थियों के लिए ऐसे पाठयक्रम की आव‛यकता महसूस की जा रही थी जिसके द्वारा विद्यार्थी दर्शनॉाास्त्र में विकसित होने वाली नयी अवधारणाओं और प्रवृतियों को समझ सके। इस नये पाठ्यक्रम का स्वरूप इसी आव‛यकता की पूर्ति हेतु है। यह पुस्तक अत्यन्त सरल भाषा में लिखी गयी है। आशा है इस पुस्तक के माध्यम से दर्शन शास्त्र के विद्यार्थी लाभान्वित होगें। मैं अपने विद्यार्थी वर्त्तमान में प्रोफेसर (डॉ0) प्रदीप प्रसाद, संत कोलम्बा कॉलेज, हजारीबाग, को धन्यवाद करना चाहूंगी जिनके रचनात्मक सुझावों की सहायता से यह पुस्तक उपयोगी बनाना संभव हो सका है। मैं अपने पारिवारिक सदस्य विनोद जी, पुष्पांजलि, मिलिन्द, नवनीत, मेघना, विदित, ओजस और विशिष्ट को भी धन्यवाद करना चाहुंगी जो मेरे जीवन के प्रेरणा स्त्रोत है। अन्त में मैं यह पुस्तक उन्हें समर्पित करना चाहुंगी जो कोरोना काल में अपनो को खोकर मर्माहित हुए है।