मैंने अपने छप्पन साल के समयान्तराल में देखा है। मानव ने विकास को गलत राह पर ले गया है। जिससे प्राकृतिक विनाष हुआ है। जिसके कारण जमीन बंजर, वायु प्रदूशित और जल दूशित हो गया है।
हमारी अनमोल खनिज सम्पदा,जीव जन्तु और जंगल समाप्त होते जा रहे हैं।
षासकों ने डॉलर, रूपया को मानव के लिये सबसे बड़ा मोहरा बनाकर संस्कृति, न्याय, राजनीति, देषभक्ति आदि सभी को दिषाविहीन कर दिया है। जिससे कर्मषील बेरोजगार हैं। बेईमान धनवान हैं। षिक्षा और विज्ञान का दुरुपयोग हो रहा है। विनाष चरम सीमा पर है। अनावष्यक विकास की वजह से मानव श्रम जंग खा रहा है।
नकली कारोबार, गुंडागिर्दी, आतंकवाद से पूरा ब्रह्माण्ड तहस नहस हो रहा है।
इसके लिये मैंंने एक क्रांन्ती युद्ध कराने का जबर्दस्थ प्रयास किया है। इस कथा में मैंने धरती माँ के दुःखों एवं कष्टों को, जो मेरी आँखों ने बीते हुये कल से आज तक देखा है। उन वर्षों के दुःख, दर्द भरे अनुभवों को एकत्र किया है। जिनकी वजह से धरती माँ की गोद में जीव जन्तु और वनस्पती का जीवन कष्टमय होता चला जा रहा है। इन्हीं विषयों के दर्द भरे आंसुओं से मैंने माँ की गोद से अनेकों तरह के दर्द से बने षक्तिषाली पौधों को तैयार किया है। मैं उन पौधों को पृथ्वी के साथ एक सूत्र में बांध रहा हूँ। उन सूत्रों से पृथ्वी को विनाष करने वाली जड़ों कोे काटनेे और उखाड़ फेंकने का कार्य करने जा रहा हूँ। भारत मँा की दुर्दषा को सुधारना ही मेरा मुख्य लक्ष्य है।
भूमी रक्षा शक्ति सेना BHOOMI RAKSHA SHAKTI SENA (B.R.S.S.)
₹350.00
Writer : शलैन्द्र सक्सेना Shailendra saxena
Edition : 1
Pager Size :6×8
No. of Pages :259
ISBN : 978-93-94894-55-6
Format : Paperback
Description
Additional information
Dimensions | 25 × 18 × 2 cm |
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