नदी और मानव का सम्बन्ध अनादिकाल से ही रहा है। प्राचीन संस्कृतियों के प्रमाण नदियों के किनारे ही मिले हैं तथा कालान्तर में अधिकतर सभ्यताएँ नदियों के किनारे ही विकसित हुईं। भारत में नदी को पवित्र और माँ का दर्जा दिया गया है। भारतीय संस्कृति में नदियों की महत्ता आदिकाल से ही रही है। किसी भी यज्ञ एवं अनुष्ठान के प्रारंभ होने के समय एक कलश में सात नदियों – गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और कावेरी के जल का आह्वान कर उनके द्वारा स्वयं को शुद्ध करने का उल्लेख है। नदियों की महिमा का गान करते हुए शास्त्र कहते हैं कि सरस्वती का जल तीन सप्ताह तक स्नान करने से, यमुना का जल एक सप्ताह तक गोता लगाने से और गंगाजल स्पर्श करने मात्र से ही पवित्र करता है किन्तु नर्मदा नदी का जल दर्शन मात्र से ही पवित्र कर देता है।
मध्य प्रदेश की नदियाँ प्रायद्वीपीय नदियों के अंतर्गत आती हैं। प्रायद्वीपीय नदियों में जल का स्रोत सामान्यतः वर्षा जल होता है। गर्मी के समय में इन नदियों में जल की मात्रा में अत्यधिक कमी रहती है। मध्य प्रदेश को “नदियों का मायका” भी कहा जाता है। मानव तथा कई जीव-जंतुओं एवं वनस्पतियों के विकास की साक्षी रहीं नदियाँ अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। मध्य प्रदेश की भी कई नदियों की जल संधारण क्षमता में कमी एवं प्रदूषण की समस्या एक चिंताजनक पहलू है।
नदियों की उत्पत्ति एवं उनका भूवैज्ञानिक सम्बन्ध, विभिन्न जलप्रपात, जल विद्युत परियोजनाएं, नदियों में बाढ़, प्रदूषण, नदियों में जलग्रहण की स्थिति एवं जलग्रहण प्रबंधन की अद्यतन स्थिति को पुस्तक में समाहित किया गया है। आशा है कि यह पुस्तक प्रशासकों, वैज्ञानिकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों, तथा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।
मध्य प्रदेश की नदियां : एक विश्लेषण Madhya Pradesh ki Nadiyan : Ek Vishleshan
₹149.00
Writer : प्रोफेसर रवीन्द्र नाथ तिवारी, डॉ. ब्रह्मानन्द शर्मा, आदित्य सिंह बघेल, आशीष कुमार मिश्रा
Edition : 1
Pager Size : A5
No. of Pages : 114
ISBN: 978-93-94894-15-0
Format : Paperback & Ebook
Categories: Competitive Exams, Educational Books
Tag: Madhya Pradesh ki Nadiyan : Ek Vishleshan
Description
Additional information
Dimensions | 21 × 16 × 1 cm |
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