अनंत काल से मनुष्य की प्रवृत्ति जिज्ञासु व कौतुहलपूर्ण रही है। आसपास के वातावरण व घटनाओं को समझने की चेष्टा वह प्रागैतिहासिक काल से कर रहा है। प्रकृति के विभिन्न अनबूझेए अनुद्घाटित तथ्योंए तत्त्वोंए स्वरूपों क्रियाकलापों व रहस्यों को समझने सुलझाने की चेष्टा ने शनैः शनैरू समय के साथ एक मूर्त रूप लिया जो विज्ञान कहलाया। इस पुरातनकालीन विज्ञान को वर्तमान में मानव ने एक निश्चित क्रियात्मक स्वरूप दे दिया। हमारे दैनिक क्रियाकलापों में हर क्षण हम विज्ञान के अभूतपूर्व पक्षों से गुजरते हैं। आज हमारे भाँति.भाँति के कोतूहलों व जिज्ञासाओं को तृप्त करने में विज्ञान सक्षम हो रहा है। विज्ञान ने जहाँ अमूर्त को मूर्त स्वरूप प्रदान किया है वहीं इसकी चमत्कारिक गतिविधियों ने हमारे साहित्यकारों की कल्पना को प्रयोगात्मक दृष्टि दी हैए जिसके फलस्वरूप उन्होंने अद्भुत रचनाओं का सृजन किया।
-10%
Previous product
Back to products
Business-Organization-and-Communication
₹200.00 ₹180.00
Next product
National-Conference
₹499.00 ₹450.00
वैज्ञानिक-समीक्षा-पर-आधारित-हिंदी-उपन्यास
₹350.00 ₹315.00
Writer :Dr. Minu Puri
Edition : 1
Pager Size : A4
No. of Pages :240
ISBN :978-93-93694-06-5
: Paperback
Categories: Educational Books, Story book
Tag: वैज्ञानिक-समीक्षा-पर-आधा
Additional information
Weight | 0.25 kg |
---|---|
Dimensions | 31 × 21 × 1 cm |