दो शब्द
भारतवर्ष सनातन आविष्कारों का देश है। जहां धर्म ही पूंजी हैए कर्म ही पुरुषार्थए विश्वास ही खजाना है। और सनातन धर्म का पालन करना कर्तव्य। कण.कण में भगवान है। जीव.जंतु देव है। प्रकृति माता है। और वासुदेव कुटुंबकम सोच है। यहां संत आध्यात्मिक वैज्ञानिक है। उनके द्वारा किए गए अविष्कार मनुष्य को प्रेरणाए मार्गदर्शनए सफलता तथा मुक्ति व मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते आ रहे हैं।
लेकिन आज यह बड़े विश्लेषण की बात है कि हिंदुस्तान के पास सबसे बड़ी युवा शक्ति हैए बौद्धिक क्षमताएं हैंए ज्ञान का भंडार हैए आध्यात्मिक खजाना हैए लेकिन उचित जीवन प्रबंधनए सफल मार्गदर्शन न होने के कारण युवा भ्रमित हो रहे हैं। तथा अपनी अमूल्य धरोहर श्उचित मार्गदर्शनश् जो हमारे धर्म ग्रंथों में सनातन आदर्शों में भरी पड़ी है के अभाव में असफलता की ओर अग्रसर हो रहे हैं। उचित मार्गदर्शन के अभाव में हम हमारे युवाओं की क्षमताओं का समुचित दोहन भी नहीं कर पा रहे हैं। युवाओं की शक्ति का भरपूर दोहन तथा भारत की आध्यात्मिक शक्ति का उचित मार्गदर्शन का आपस में संचार नहीं हो पा रहा है। जिसका खामियाजा भारतीय समाज को उठाना पड़ रहा है।