साहित्य में व्यंग्य एक ऐसी विधा है, जो सामाजिक जीवन की विसंगतियों और मूल्यहीनता को बड़े ही सहजता और निर्ममता से अनावृत करता है। ओझा जी ने अपनी व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से इतने वर्षों की प्रगति और विकास के नारों के बावजूद निहित स्वार्थों और अन्य अनेक अवांछनीय तत्वों के सामने घिसट रही आज की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था की ओर समाज का ध्यान आकृष्ट किया है। व्यंग्य लेखन के साथ ही इन्होंने साहित्य की अन्य विधाओं जैसे नाटक, लघुकथा सहित गीत, गजल, दोहा, मुकरिया, क्षणिका, मुक्तक, नव गीत और श्रृंगार आदि पर भी अपनी रचना धर्मिता का परिचय दिया है।
सबरंग(savrang)
₹300.00
Editors :कमलेश्वर ओझा Kamleshwar ojha
Edition : 1
Pager Size :5.83×8.27
No. of Pages : 167
ISBN :978-93-91669-35-5
Format : Paperback
Categories: Educational Books, Spiritual, Motivational & Leadership
Tag: सबरंग(savrang)
Additional information
Dimensions | 25 × 17 × 2 cm |
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