संगीत मनुष्य की आत्मा है। संगीत का रूप प्रत्येक क्षण में पृथक पृथक है। कभी शांति का वेश है तो कभी वीरत्व का, कभी श्रृंगार का। संगीत के बिना मनुष्य प्राणशून्य स्थूलकाय शरीर निरर्थक और निर्जीव मालूम पड़ता है। मैंने इस पुस्तक की रचना में यह ध्यान रखने की कोशिश की है कि जिन बच्चे या बड़ों को निकट में कोई शिक्षक उपलब्ध नहीं हो रहे हो और उन्हें संगीत सीखने की उत्कट इच्छा हो तो यह पुस्तक कुछ हद तक उनका मार्ग दर्शन कर सके। मेरी यह लेखनि मेरे पति विनोद, मेरी बेटी पुष्पांजलि, बेटा मधुकर, दामाद नवनीत, बहु मेघना, नाती विदित एवं ओजस, तथा पेाता विशिष्ट एवं समस्त परिवार के नाम समर्पित है जिनकी प्रेरणा से मैं यह पुस्तक की रचना करने की सोंची।
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स्वर सरगम Swar Sargam
₹350.00 ₹300.00
Writer : Dr. Pushpa Sinha
Edition : 1
Pager Size : 7×10
No. of Pages : 141
ISBN: 978-93-94894-38-9
Format : Paperback & Ebook
Categories: Competitive Exams, Educational Books
Tag: Swar Sargam
Additional information
Dimensions | 25 × 18 × 1 cm |
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