यह पुस्तक चैधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद , महर्षि दयानंद
विश्वविद्यालय रोहतक , गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय हिसार की बीएड का
अध्यापक| प्रशिक्षण ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर लिखी गई
है। इस पुस्तक में इन सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखा
गया है। पुस्तक में सरल भाषा का प्रयोग किया गया है और प्रतिदिन के
उदाहरणों को लेकर विषय सामग्री को काफी रोचक बनाया गया है।
जनम के समय बालक समाज में समाज का एक हिस्सा बन जाता है, लेकिन
अगर जाति की बात की जाए तो जातीयता के आधार पर भी समाज बटा हुआ
है। कुछ स्त्रियां बड़े घर की हैं और बहुत सी स्त्रियां ऐसी हैं जो कारखाने में
काम करती हैं। भारतीय समाज में स्त्रियों की विदा अनन्य है और सभी स्त्रियों
को एक ही तराजू में तोलना ठीक नहीं है।
हमारा यह भी सोचना है कि जब हम समाज में स्त्रियों की परिस्थिति के बारे
में बात करें तो इनकी विविधता को भी समझें ।