प्रस्तुत पुस्तक जीवनकाल विकास-प्प् राष्ट्रीय षिक्षा नीति के नवीन पाठ्यक्रम गृह विज्ञान द्वितीय वर्ष ;डिप्लोमा कोर्सद्ध के अनुसार लिखी गयी है। जीवनकाल विकास एक विस्तृत एवं व्यापक विषय है, जिसे कुछ ही कालखण्डों में अध्ययन- अध्यापन कर समझ पाना संभव नहीं है। विद्यार्थियों को क्या और कितना अध्ययन करना है इस समस्या का हल इस पुस्तक में विषेष रूप से करने का प्रयास किया गया है। आषा है कि विद्यार्थियों को इस पाठ्य पुस्तक के अध्ययन से न केवल संतोषजनक आधार प्राप्त होगा अपितु विषय संबंधी ज्ञान भी विकसित होगा। विषय को सरलतापूर्वक समझाने के लिये इसे चार इकाईयों में विभाजित किया गया है- तरूणावस्था एवं किषोरावस्था, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवं पारिवारिक संबंध तथा प्रौढ़ावस्था एवं वृद्धावस्था। उपरोक्त अध्यायों के द्वारा किषोरावस्था से वृद्धावस्था तक की अवस्थाओं में होने वाले विभिन्न विकास, परिवर्तन एवं सांमजस्य को सुगमतापूर्वक व्याख्या करने का प्रयास किया गया है। पाठ्यवस्तु को सरल, स्पष्ट एवं बोधगम्य भाषा में पर्याप्त, रोचक, उदाहरणों, तालिका एवं चित्रों की सहायता से सम्पादित कर प्रस्तुत किया गया है। अध्याय के अन्त में महत्वपूर्ण बिन्दु, वैकल्पिक तथा अभ्यास प्रष्न दिये गये हैं जिससे विद्यार्थी विषय वस्तुु को सरतलता से समझ सकें एवं अपने दैनिक जीवन में भी उपयोग कर सकें।
इस पुस्तक को वर्तमान स्वरूप देने में मुझे अनेक विद्वानों, लेखकों के कार्यों व प्रकाषन तथा इंटरनेट से बहुमूल्य सहायता प्राप्त हुई है जिसके लिये मैं सभी के प्रति आभार व्यक्त करती हूॅं। साथ ही मैं अपने परिवार के समस्त सदस्यों एवं मित्रों की प्रेरणा एवं उत्साहवर्धन के लिये आभारी हूूॅं।
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Jeevankal Vikas II
₹210.00
Writer : Dr. Nivedita Ganava
Edition : 1
Pager Size : 6×9
No. of Pages : 129
ISBN : 978-93-94894-01-3
Format : Paperback & Ebook
Categories: Competitive Exams, Educational Books
Tag: (Lifespan Development-II) For BHSc II Year NEP
Description
Additional information
Dimensions | 21 × 16 × 1 cm |
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