RED EYES ( A Painful Journey From UPSC To Life Consciousness )

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Writer :योगेंद्र सिंह सोलंकी (Yogendra singh solanki)

Edition : 1

Pager Size : A5

No. of Pages :232

ISBN : 978-93-5641-049-7

Format : Paperback

Description

आज हम जिस दौर में जी रहे हैं, वह अभूतपूर्व परिवर्तन का युग है। यह न केवल दुनिया की तमाम व्यवस्थाओं, मान्यताओं व धारणाओं में; बल्कि तकनीक, नवाचार एवं नवीन प्रयोगों द्वारा जर्ज़र व अप्रासंगिक हो चुकी उन तमाम परंपराओं को तोड़ते हुए कमोबेश हर क्षेत्र में नई व्यवस्था स्थापित करने का भी युग है।

यूँ तो ‘परिवर्तन प्रकृति का नियम है’ और प्रकृति अपने नियमों में सुदृढ़ भी है। परंतु मानव-इतिहास में हज़ारों सालों से चली आ रही सभ्यताओं, संस्कृतियों व परंपराओं के अंतर्गत विकसित जीवन-शैली में समय की माँग अनुसार परिवर्तन कम ही दृष्टिगोचर होते हैं।

यदि परिवर्तन की गति की तुलना में सुधार की गति कम हो जाए तो इंसानी सभ्यता जीवन के कई अति आवश्यक मूल्यों में पीछे छूट जाती है। इसलिए परिवर्तन के इस अभूतपूर्व दौर में जीवन-शैली को भी सुधारने के उसी रफ़्तार के साथ यथोचित प्रयत्न सतत् रूप से हों, उस श्रृंखला में जीवन के एक सबसे महत्वपूर्ण पहलू ‘करियर’ पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए उसमें वर्षों से लंबित, परंतु अत्यावश्यक नैसर्गिक सुधारों की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास इस उपन्यास में किया गया है।

चूँकि यह एक उद्देश्यपरक उपन्यास है और इसका एक अतिविशिष्ट सुधारोन्मुख उद्देश्य है। अतः इसके उद्देश्य-पूर्ति हेतु इसके लक्षित पाठकों, यथा- छात्रों को कहानी का मर्म भली-भाँति समझने में सहायतार्थ नयी युवा-पीढ़ी की आम-बोलचाल भाषा का प्रयोग अधिकतर भाग में किया गया है। साथ ही आम बोलचाल में अतिप्रयुक्त कुछ अंग्रेजी के शब्दों का भी ‘पर्सुएशन’ के उद्देश्य को सुदृढ़ बनाने हेतु इसकी महत्ता के दृष्टिकोण से एक अच्छे मंतव्य के साथ, भरपूर समावेशन किया गया है। ताकि भाषाई शुद्धता और एकरूपता के दृष्टिकोण से अपरिपक्व उन लक्षित पाठकों तक उन विचारों और उनमें निहित उद्देश्य को सहजता से संचारित किया जा सके।

अतः उक्त उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए हिंदी व अंग्रेजी का भाषायी उचित अनुपात मिश्रित कर आज के भारतीय परिवेश में हिंदी भाषी क्षेत्रों में आम बातचीत में सर्वाधिक प्रयुक्त होने के साथ-साथ अवचेतन स्तर तक सामान्य हो चुकी बोल-चाल की तथाकथित ‘हिंग्लिश शैली’ का स्वरूप भी कहीं-कहीं परिलक्षित होगा। तो इस हेतु भाषायी विद्वान व हिंदी साहित्य के प्रखर प्रेमियों से इसे इसी रूप में स्वीकार करने का आग्रह है। ताकि भाषाई मर्यादा स्थापित करने की कठोरता में इस उपन्यास की आत्मास्वरूप अंतर्निहित अतिमहत्वपूर्ण उद्देश्य कहीं पीछे न छूट जाए।

Additional information

Weight 0.2 g
Dimensions 25 × 17 × 2 cm